रचनाकार-"जे.पी. रघुवंशी" , काल परों तक झां-भां डोले,अब वे बज रहें कक्का जी। रचनाकार-"जे.पी. रघुवंशी" , काल परों तक झां-भां डोले,अब वे बज रहें कक्का ज...
फिर मौसम चुनाव का फिर मौसम चुनाव का
नई नई मेलजोल नई भक्ति भाव देखिए नई नई बोलठोल नई शक्ति ताव देखिए। नई नई मेलजोल नई भक्ति भाव देखिए नई नई बोलठोल नई शक्ति ताव देखिए।
होती है जब वोटों की राजनीति तब होता जन जन से कूटनीति होती है जब वोटों की राजनीति तब होता जन जन से कूटनीति
कभी देते हो दर्शन तो है लगता लो जी आ गए फिर से चुनाव हैं ? कभी देते हो दर्शन तो है लगता लो जी आ गए फिर से चुनाव हैं ?
क्योंकि लोकतंत्र की जिम्मेदारी हमारी है। क्योंकि लोकतंत्र की जिम्मेदारी हमारी है।